शिक्षक व विद्यार्थी के बीच हो सामंजस्य ः डॉ पण्ड्या

शांतिकुंज में संस्कृति विस्तारकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

सर्वाधिक विद्यार्थियों तक पहुंचने वाले जिला राजसमन्द को मिला विशेष पुरस्कार

हरिद्वार 2 मार्च।

गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हो गया। संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (भासंज्ञाप) से जुड़े उत्तराखण्ड, दिल्ली, मप्र, छत्तीसगढ, हिमाचल प्रदेश, गुजरात सहित 22 राज्यों के 390 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठी में 2025 में होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से अधिक से अधिक संख्या में छात्र-छात्राओं तक पहुंचने के लिए संकल्पित हुए।

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी प्रतिभागियों से वर्चुअल जुड़े और मार्गदर्शन किया। युवाओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि अगर शिक्षक और विद्यार्थी के बीच सही सामंजस्य और समझ स्थापित हो जाये, तो शिक्षक अपने विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा देने में बल्कि उनके चरित्र और जीवन को सही दिशा देने में भी सक्षम हो सकते हैं। विद्यार्थी जीवन वह महत्वपूर्ण समय होता है जब युवा अपने व्यक्तित्व और जीवन के उद्देश्य की नींव रखते हैं। इस दौरान उन्हें अगर सही मार्गदर्शन, सकारात्मक सोच और जीवन के सही मूल्य मिलते हैं, तो वह अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं और समाज के लिए एक आदर्श बन सकते हैं।

इससे पूर्व व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी ने प्रतिभागी शिक्षक, जिला व प्रांतीय समन्वयकों को संस्कृति को बचाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। भासंज्ञाप के समन्वयक श्री रामयश तिवारी ने कहा कि भासंज्ञाप युवाओं को संस्कृति निष्ठ बनाने का उत्तम आधार है। इस अवसर पर जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों सहित अनेक लोगों ने क्षेत्र में भासंज्ञाप के विस्तार हेतु विविध उपायों को साझा किया।

शिविर समन्वयक ने बताया कि वर्ष 2024 की अपेक्षाकृत साल 2025 में 1 लाख 51 हजार स्कूलों तक पहुँचने हेतु कार्य योजना बनाई गयी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राजस्थान के राजसमन्द जिला को सर्वाधिक विद्यार्थियों तक भासंज्ञाप को पहुंचाने के लिए विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। तो वहीं सूरत (गुजरात), बाँसवाड़ा, उदयपुर (राजस्थान), लखनऊ (उप्र), अहमदाबाद, साबरकांठा (गुजरात), झालवाड़ ( राजस्थान), गाजियाबाद, कानपुर नगर (उप्र) को भी स्मृति चिह्न आदि भेंटकर पुरस्कृत किये गये।

देसंविवि पहुंचा छग व नेपाल के युवाओं का दल

प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या से भेंटकर गद्गद हुए युवा

हरिद्वार 2 मार्च।

जीवन विद्या के आलोक केन्द्र देवसंस्कृति विवि अपने अभिनव शैक्षणिक पाठ्यक्रम के लिए युवाओं में आकर्षण का केन्द्र बना है। यहाँ समय समय पर देश के अनेक राज्यों के विद्यार्थी शैक्षणिक भ्रमण के लिए पहुंचते हैं। इसी क्रम में संस्कृत महाविद्यालय रायपुर (छग) से 25 एवं नेपाल से 50 युवाओं का दल शांतिकुंज, देसंविवि पहुंचा है।

अपनी यात्रा के दौरान देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या जी भेंट की और जीवन में सफल होने के विविध सूत्र पाये। इस अवसर पर युवा आइकान ने छात्रों के साथ शिक्षा, संस्कृति और समाज निर्माण में सक्रियता के साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारों का वाहक बनने के लिए प्रेरित किया।

अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान सद्ज्ञान और सकारात्मक दृष्टिकोण को समृद्ध किया, साथ ही उन्होंने भारत की समृद्ध आध्यात्मिक धरोहर से जुड़े के लिए कदम बढ़ाया। वे सभी विश्वविद्यालय स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर की दिव्यता एवं विवि की भव्यता के साथ आध्यात्मिक व शैक्षणिक वातावरण से काफी प्रभावित हुए।

नेपाल के २५ अलग अलग स्थानों से आये युवाओं ने शांतिकुंज में साधना शिविर में भी प्रतिभाग किया और सभी सदस्यों ने गहन आध्यात्मिक अभ्यास और जीवन के उच्च आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। साधना के दौरान उन्होंने शांतिकुंज की पवित्रता और दिव्यता का अनुभव किया, जिससे उनके आंतरिक विकास और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा मिली।

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