
*जापानी संत बाला कुंभ मुनि बने निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर*
हरिद्वार, हरिद्वार में शुक्रवार को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी अखाड़े ने आध्यात्मिक इतिहास का नया अध्याय लिख दिया। जापान के संत स्वामी बाला कुंभ मुनि महाराज को विधि विधान के साथ निरंजनी अखाड़े के सान्निध्य में अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया। अखाड़े परिसर में आयोजित पारंपरिक पट्टाभिषेक समारोह में जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज सहित बड़ी संख्या में साधु संत मौजूद रहे। समारोह के दौरान स्वामी बाला कुंभ मुनि महाराज की चादर विधि पूरी की गई। जापान से आए कई साधकों को भी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
*जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने* नव नियुक्त महामंडलेश्वर को आशीर्वाद देते हुए कहा कि सनातन धर्म की महिमा और उसके मूल सिद्धांतों को विश्वभर में पहुंचाने का कार्य आज निरंतर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। प्राचीन काम में जो कार्य आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था आज श्रीमहंत रविंद्रपुरी भी वही कार्य कर रहे हैं। उन्होंने मंच से कहा कि सनातन न नूतन है, न पुरातन। सृष्टि के आरंभ से ही सनातन धर्म अस्तित्व में है। आलोचना करने वाले भी आज सनातन की बात कर रहे हैं, यह इसका प्रभाव और शक्ति है। शंकराचार्य ने कहा कि संन्यास परंपरा में भेद नहीं होता। निरंजनी अखाड़े में जापान के एक युवा ने सनातन संस्कृति को अंगीकार कर इतिहास रच दिया है। जब भी इतिहास लिखा जाएगा तब आज का दिन अवश्य याद किया जाएगा।
*आखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी* महाराज ने कहा कि स्वामी बाला कुंभ मुनि महाराज विद्वान संत हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म को छोड़कर सनातन अपनाया है। उनके ढाई हजार शिष्य हैं जिनमें से अस्सी शिष्य कार्यक्रम में आकर सनातन धर्म में शामिल हुए हैं। सभी शिष्य जापान ही नहीं पूरी दुनिया में सनातन का प्रचार करेंगे। कहा कि हमारी संस्कृति आज विदेशों में भी पहुंच रही है। *महामंडलेश्वर बनने के बाद वे स्वामी बाला कुंभ पुरी नाम से देश विदेश में सनातन परंपराओं के प्रचार प्रसार को नई दिशा देंगे* । उन्होंने बाला कुंभ पुरी महाराज से अपील की है कि वो अपने शिष्यों को सनातन धर्म की संस्कृति और सभ्यता सिखाएंगे ताकि वो भी पूरे विश्व में सनातन का प्रचार प्रसार कर सकें।
इस अवसर पर बाला कुंभ मुनि ने महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज और सभी साधु संतों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से प्रभावित होकर ही उन्होंने उसे अपनाया है। उन्हें सपना आया था कि वो उत्तराखंड में रहते थे इसलिए अब वो पूरी दुनिया में सनातन का प्रचार प्रसार करेंगे। *उन्होंने बताया कि बहुत जल्द ही वो उत्तराखंड में अपना आश्रम बनाएंगे।* 
*कार्यक्रम की अध्यक्षता जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने की जबकि मंच का संचालन श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने किया*
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत राम रतन गिरि महाराज, श्रीमहंत राम सेवक गिरि,श्री महंत राजगिरि, श्री महंत नीलकंठ गिरि, श्री महंत हरगोविंद पुरी, श्रीमहंत दर्शन भारती महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज,साध्वी सरिता गिरि,स्वामी अनंतानंद गिरि,स्वामी तेजेश्वरानंद गिरि,जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर राधे मां,श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती, बाबा हठयोगी, श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री महंत राजगिरि, अनिल शर्मा,दिगंबर सतीश वन,आदि मौजूद रहे।
