शांतिकुंज अधिष्ठात्री से बच्चों ने पाया सफलता के विविध सूत्र
हरिद्वार 9 फरवरी।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में रविवार को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (भासंज्ञाप) में उत्तराखण्ड राज्य में सर्वाेत्कृष्ट अंक प्राप्त विद्यार्थियों के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। राज्य भर में कक्षा पांच से लेकर कॉलेज स्तर में अलग अलग वर्ग में विगत 8 नवम्बर 24 को भासंज्ञाप आयोजित की गयी थी। इसमें पूरे राज्य में 110 विद्यार्थियों ने अपने-अपने वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान किया।
शांतिकुंज पहुंचे इन मेधावी छात्र-छात्राओं ने संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने भेंट की और उनसे आशीर्वाद व मार्गदर्शन प्राप्त किया। स्नेहसलिला श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, नैतिकता, और मानवीय मूल्यों को विशेष स्थान दिया गया है, जो विद्यार्थियों को सामाजिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण से समृद्ध बनाते हैं।
सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, नैतिकता, और मानवीय मूल्यों को विशेष स्थान दिया गया है, जो विद्यार्थियों को सामाजिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण से समृद्ध बनाते हैं और उनके व्यक्तित्व और सोच में भी गहरे सकारात्मक प्रभाव डालता है। प्रो0 भटनागर ने कहा कि संस्कार सनातन संस्कृति के प्राण हैं। अनगढ को सुगढ़ बनाने की पद्धति (संस्कार) से ही चाणक्य, छत्रपति शिवाजी, स्वामी विवेकानंद आदि महामानव गढ़े गये। श्री गंभीर सिंह फरसवान, श्री अचलेश अग्रवाल आदि ने भी अपने अपने विचार रखे।
भासंज्ञाप के केन्द्रीय समन्वयक ने बताया कि पूरे राज्य में कक्षा पांच से लेकर कॉलेज स्तर पर अलग अलग वर्ग में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें उत्तराखण्ड राज्य में अलग अलग वर्ग में प्रावीण्य सूची में आये 110 विद्यार्थियों को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र व नगद राशि भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के प्रांत संयोजक जिला संयोजकों सहित राज्य भर से आये छात्र-छात्राएँ व उनके अभिभावक तथा शिक्षकगण आदि उपस्थित रहे।