अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा को कैसे देखते हैं? तर्क दिया जा रहा है कि जब उपासना स्थल अधिनियम-1991 लागू है तो सर्वे क्यों हो रहा है?
-देश में उपासना स्थल अधिनियम
राजनेता वोट के लिए जाति वर्ग विशेष के लोगों को लुभाने को तुष्टिकरण की नीति अपनाते हैं। देश के बड़े वर्ग को उपेक्षित कर तमाम नियम एकतरफा बना दिए जाते हैं। उपासना स्थल अधिनियम (वर्शिप एक्ट)-1991 इसका प्रमाण है। सत्ता में बैठे लोगों ने सनातन धर्मगुरु व उसके धर्मावलंबियों से राय लिए बिना एक्ट लागू कर दिया। इसी प्रकार वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दी गई हैं। जब भारत संवैधानिक देश है। संविधान सबके लिए समान है तब धर्म विशेष के लोगों को अधिक महत्व क्यों दिया जा रहा है? केंद्र
1991 किससे पूछकर लागू किया गया है? क्या नेता कोई भी मनमाना निर्णय ले लेंगे और हम उसे मान लेंगे? सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं की कोई अहमियत नहीं है? जैसे अभी वक्फ बोर्ड से जुड़े मामले में हर
वर्ग के लोगों से राय मांगी जा रही है। उसी प्रकार उस समय भी राय मांगनी चाहिए थी, लेकिन तब किसी ने कुछ नहीं मांगा। जाति विशेष के लोगों को खुश करने के लिए मनमाना निर्णय लागू कर दिया। अब कानूनी रूप से
सरकार संविधान के मर्म की रक्षा करे। यह कहना है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (मनसा देवी ट्रस्ट) के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी का। प्रयागराज में दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता शरद द्विवेदी से बातचीत में उन्होंने कहा, वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां देना संविधान की मूलभावना के खिलाफ है। वक्फ बोर्ड जिसे चाहे अपनी संपत्ति बना ले। हमें कोर्ट जाने तक की छूट नहीं है। क्या ऐसी मनमानी दूसरे देश में संभव है? विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। प्रस्तुत है प्रमुख अंश…।
कोर्ट के आदेश पर सर्वे हो रहा है तो हिंसा फैलाई जा रही है। हमें किसी का आराधना स्थल नहीं चाहिए, न दूसरे की संपत्ति की जरूरत है, लेकिन अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे।
विपक्ष के नेताओं का कहना है कि कोर्ट ने
एक पक्ष को सुनकर सर्वे का आदेश दिया है। दूसरे पक्ष को सुना ही नहीं, इस पर क्या कहेंगे?
मैं कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि न्यायालय ने निर्णय संविधान व कानून के अनुरूप दिया होगा। सबको उसका सम्मान करना चाहिए। जो नेता कोर्ट के फैसले पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं, उन्हें चुप रहना चाहिए। धार्मिक मामले में राजनीति न करें। अगर बोलना है तो दोनों पक्ष की बात निष्पक्ष भाव से रखें।
आप नेताओं को धर्म के मामले में राजनीति नहीं करने की बात कहते हैं, लेकिन आपने भी महाकुंभ 2025 में मुस्लिम समुदाय का प्रवेश रोकने की मांग की है, क्या यह उचित है?
मैंने कभी ऐसी मांग नहीं की। मैं
सनातन धर्म का धर्मगुरु हूं। सनातन धर्म सबको साथ लेकर चलने की सीख देता है। हमारा भगवा वस्त्र त्याग व तपस्या का प्रतीक है। स्वयं को कष्ट देकर दूसरों को सुख देना हमारे धर्म का मर्म है।
मैं किसी का विरोध कैसे कर सकता हूं? मैंने उनका प्रवेश रोकने की मांग उठाई है जो हमारे खाने-पीने, पूजन सामग्री में थूक व मूत्र मिलाकर उसे अपवित्र करते हैं। ऐसे लोग महाकुंभ में आएंगे तो उसका स्वरूप बिगड़ेगा।
तमाम लोग मानते हैं कि आज के संत तपस्वी नहीं हैं। सुख-सुविधा युक्त जीवन व्यतीत करते हैं?
यह पूरी तरह असत्य है। संतों की तपस्या आपने देखी कहां हैं? भगवा धारण करने के बाद हमारा जीवन
राष्ट्र व सनातन धर्म को समर्पित हो जाता है। पूरी दुनिया हमारा परिवार है। उसके कल्याण के लिए जन-पूजन में लीन रहते हैं। गुफाओं, कंदराओं के साथ आश्रमों में स्वयं को बंद करके संत जनकल्याण के लिए तप करते हैं। तपस्या किसी को दिखाते नहीं। फिल्मों व धारावाहिकों से संतों की छवि खराब करने का वर्षों से कुचक्र चल रहा है। अखाड़ा परिषद ने इसे रोकने के लिए अब कानूनी कार्रवाई का निर्णय लिया है।
अखाड़ा परिषद खुद विवादित है। बीते दिनों संत आपस में मारपीट करने लगे, इससे छवि खराब हुई है? फिर आप कोई निर्णय कैसे लेंगे?
देखिए, 13 अखाड़े हैं। आपसी प्रेम व भाईचारा है। कोई मारपीट नहीं हुई है। परिवार में जैसे कहासुनी होती है
फिर सब एक हो जाते हैं।
उसी प्रकार हमारे बीच हुआ था। रही बात परिषद की तो संख्याबल मेरे साथ है। यह साबित कर चुका हूं। हम मिलकर महाकुंभ का भव्य आयोजन कराएंगे।
महाकुंभ की तैयारियों से आप संतुष्ट हैं अथवा कोई शिकायत है?
मैं महाकुंभ-2025 की तैयारी से पूरी तरह से संतुष्ट हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिलकर अद्भुत व अद्वितीय बनाने के लिए प्रयासरत हैं। संतों व श्रद्धालुओं के लिए उत्कृष्ट व्यवस्था कराई जा रही है। इससे भारत की वैश्विक स्तर पर छवि अच्छी होगी। दुनिया भारत के बढ़ते प्रभाव को देखेगी और सनातन धर्म का मर्म समझेगी