
हरिद्वार, उत्तराखंड के गौरवशाली 25वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धापूर्वक नमन किया और कहा कि उन्हीं के संघर्ष और बलिदान की बदौलत आज हम अलग राज्य का गौरव अनुभव कर रहे हैं।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के रूप में देश और दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। हिमालय की गोद में बसे इस पवित्र प्रदेश की भूमि केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और मानव मूल्यों की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें उन सभी महान आत्माओं को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने उत्तराखंड के निर्माण का सपना देखा और उसे साकार करने के लिए कठिन संघर्ष किया।
उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दिशा-निर्देशन में और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के कुशल नेतृत्व में निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। प्रदेश में चहुँमुखी विकास हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर प्रदेश हित में कई महत्वपूर्ण एवं साहसिक निर्णय लिए हैं, जिनसे न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली है बल्कि पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, ऊर्जा और उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश में जनकल्याण की योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू हो रही हैं, जिससे आम जनता को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के युवा, महिलाएँ और किसान राज्य के विकास की रीढ़ हैं। हमें एकजुट होकर आत्मनिर्भर, सशक्त और समृद्ध उत्तराखंड के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।
अंत में श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे राज्य की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर की रक्षा करें और देवभूमि की गरिमा को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि यह स्थापना दिवस हमें अपने शहीद आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने और एक सशक्त, समृद्ध उत्तराखंड के निर्माण का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।
“जय उत्तराखंड! जय देवभूमि!”
