पाकिस्तान के हिंदू श्रद्धालुओं का जत्था पतंजलि पहुँचा, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से लिया आशीर्वाद

*हरिद्वार/अमर लाल शदाणी*

पाकिस्तान स्थित शदाणी दरबार के नवम पीठाधीश्वर डॉक्टर युधिष्ठिर लाल के नेतृत्व में हिंदू श्रद्धालुओं का एक विशेष जत्था पतंजलि योगपीठ पहुँचा। यहाँ उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से मुलाक़ात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यह अवसर श्रद्धा, संस्कृति और आध्यात्मिक संवाद का एक अनूठा संगम बना।

डॉ. युधिष्ठिर लाल के नेतृत्व में यह जत्था भारत भ्रमण पर आया है, जिसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों का दर्शन करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, योग और आयुर्वेद की गहराई से जानकारी प्राप्त करना है। पतंजलि योगपीठ पहुँचकर उन्होंने वहाँ के वातावरण, साधना और स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों की सराहना की।

इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने अपने वक्तव्य में कहा कि पाकिस्तान स्थित शदाणी दरबार, वहाँ के हिंदू समाज के लिए सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नयन का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। उन्होंने कहा, “शदाणी दरबार जो कार्य कर रही है, वह अत्यंत सराहनीय है। पाकिस्तान के हिंदुओं को मैं संदेश देता हूँ कि वे अपने जीवन में शाकाहार को अपनाएँ और योग को अनिवार्य रूप से करें। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति में भी वृद्धि होगी।”

योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि परिवार द्वारा जत्थे का पारंपरिक भारतीय रीति से स्वागत किया गया। डॉ. युधिष्ठिर लाल ने अपने संबोधन में कहा, “बाबा रामदेव ने जिस प्रकार योग को विश्वभर में पहुँचाया और आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया, वह हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। पतंजलि योगपीठ में आकर हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने हमें जिस प्रकार ‘अतिथि देवो भव’ की भावना से अपनाया है, उसके लिए हम हृदय से उनका आभार प्रकट करते हैं।”

श्रद्धालुओं ने पतंजलि योगपीठ में चल रहे विभिन्न आयुर्वेदिक अनुसंधान, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों और योग प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी अवलोकन किया। उन्होंने वहाँ के वातावरण की शांति और ऊर्जा की सराहना की तथा भविष्य में भी सहयोग और संवाद को बनाए रखने की इच्छा जताई।

यह दौरा भारत और पाकिस्तान के हिंदू समाज के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव को और अधिक मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया है। पतंजलि योगपीठ का यह gesture, सीमाओं से परे जाकर मानवता और अध्यात्म का संदेश देता है।

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