हरिद्वार। बड़ी रामलीला में अशोक वाटिका, हनुमान-रावण संवाद और लंका दहन की लीला के माध्यम से दिखाया कि अहंकार व्यक्ति को किस प्रकार पतन और पराजय की ओर ले जाता है। रावण ने हनुमान के पिता पवन को अन्य देवताओं के साथ अपने कारागार में बंद कर रखा था। लेकिन पवन पुत्र हनुमान ने रावण की स्वर्ण सदृश लंका जलाकर उसका अभिमान चूर-चूर कर दिया। श्रीरामलीला कमेटी ने रंगमंच के बाहर लंका के प्रतीकात्मक पुतले को अग्नि के हवाले किया। दशहरा पायता 12 अक्टूबर को रोड़ी बेलवाला मैदान में धूमधाम के साथ संपन्न होगा। भगवान श्रीराम ने सुग्रीव के शिविर से हनुमानजी को सीता की खोज करने लंका भेजा। लंका में विभीषण ने हनुमान जी का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अशोक वाटिका जाकर राम की मुद्रिका सीता को दी और सीता से चूड़ामणि लिया। हनुमानजी ने लंका में रावण को अपनी शक्ति का एहसास कराते हुए उससे सीता को वापस करने का सुझाव दिया और अनुरोध भी किया। लेकिन रावण को तो भगवान के हाथों अपनी मुक्ति का माध्यम सीता में ही दिखाई दे रहा था। रावण ने रामदूत हनुमान को दंडित करने की योजना बनाई तो हनुमान ने पूरी लंका को ही जला दिया।
बड़ी रामलीला की बढ़ती लोकप्रियता से प्रभावित होकर पूर्व विधायक संजय गुप्ता अपने समर्थकों के साथ रामलीला का दर्शन करने पधारे। उन्होंने रंगमंच की व्यवस्थित और मर्यादित प्रस्तुति के लिए आयोजकों को साधुवाद दिया।
साथ ही रामलीला में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड एवं अन्य प्रदेशों के भी सैकड़ों रामभक्त राम लीला के नियमित दर्शक बन रहे हैं।
शुक्रवार को कुंभकरण तथा मेघनाथ वध की लीला का मंचन किया जाएगा।
रंगमंच को मौलिक एवं मर्यादित स्वरूप प्रदान करने में कमेटी अध्यक्ष वीरेंद्र चड्ढा, ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील भसीन,मुख्य दिग्दर्शक भगवत शर्मा मुन्ना, मंत्री रविकांत अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, संगीत निर्देशक विनोद नयन सहायक संगीत निर्देशक साहिल मोदी, सहायक निर्देशक मनोज सहगल, डा.संदीप कपूर, विनय सिंघल, कन्हैया खेवडिया, ऋषभ मल्होत्रा, विशाल गोस्वामी, दर्पण चड्ढा, राहुल वशिष्ठ, सुनील विधावन, विशाल गोस्वामी सभी सदस्यों का योगदान सराहनीय है।