कन्या पूजन व वैदिक अनुष्ठान के साथ गायत्री पूजन का समापन
मातृ शक्ति की आराधना के साथ मातृ भूमि की भी आराधना करें: स्वामी रामदेव
पवित्र नवरात्र व विजयदशमी भारत की समृद्धशाली परम्परा का हिस्सा: आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार, 12 अक्टूबर। कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर परिसर में पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव जी एवं महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने गायत्री महायज्ञ के वैदिक अनुष्ठान के साथ पवित्र शारदीय नवरात्रि पर कन्या पूजन कर सम्पूर्ण देशवासियों को नवरात्रि तथा विजयदशमी की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। 9 दिनों तक चले वैदिक अनुष्ठान का आज समापन पूरी विधि-विधान के साथ किया गया, जिसमें माँ गायत्री की उपासना की गई। स्वामी जी एवं आचार्य जी ने सभी कन्याओं के चरण धोकर उन्हें भोजन करवाया और सभी से आर्शीवाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति, ऋषि परम्परा, वेद परम्परा, राम और कृष्ण, माँ भवानी, आध्यशक्ति का देश है। इसमें रोग, विकार, हिंसा, झूठ, बेइमानी, दुराचार, कदाचार, व्याभिचार, अशुचिता, असंतोष, नास्तिकता, अनैतिकता आदि अलग-अलग प्रकार की नकारात्मकताएँ समाप्त हों। अंधेरा व प्रमाद रूपी राक्षसों का वध हो। सभी के भीतर राम जैसी मर्यादा व चरित्र हो। माता भगवती से शक्ति पाकर सभी देशवासी भारत माता को परम वैभवशाली व परम शक्तिशाली बनाने में अपनी आहुति दें। 2047 तक प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को मिलकर पूरा करें। मातृ शक्ति की आराधना के साथ मातृ भूमि की आराधना करें।
देश में खाने-पीने की चीजों में थूक और मूत्र मिलने की घटनाओं पर स्वामी जी ने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं को मौन छोड़कर आगे आना चाहिए और इस विषय पर बोलना चाहिए। इस तरह की घटनाओं से इस्लाम व कुरान बदनाम होते हैं। यह सभ्य समाज पर कलंक के समान है।
इस अवसर पर आचार्य जी ने कहा कि नवरात्र व विजयदशमी का भारतीय संस्कृति, परम्परा और सनातन धर्म में विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि माँ भगवती सबका कल्याण करें, सबके जीवन में मंगल हो, स्वास्थ्य हो, समृद्धि हो, आनन्द हो, खुशियाँ हों, इसी कामना के साथ हमने 9 दिन का यह अनुष्ठान कर गायत्री महामंत्र के साथ आहुतियाँ दीं। दिव्य संयोग है कि आज राम नवमी में कन्या पूजन के साथ विजयदशमी पर्व भी मनाया जा रहा है। विजयदशमी पर हम अपने दुगुर्णों, बुराइयों, दुर्व्यस्नों व असुरत्व पर विजय प्राप्त करें। पवित्र नवरात्र व विजयदशमी भारत की समृद्धशाली परम्परा का हिस्सा है, इसको उद्दात्ता व वैज्ञानिकता के साथ बनाना हम सबका कर्त्तव्य है।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ परिवार के सभी सम्मानित वरिष्ठजन, संन्यासीगण, कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।