बरेली में होली पर जिहादियों द्वारा हमला करने, जान से मारने और यहां तक कि खून की होली खेलने की बात करने पर तो चारों ओर सन्नाटा है, किंतु जब ऐसी मानसिकता से बचने हेतु मथुरा वृंदावन में होली पर हिंदुओं द्वारा जिहादियों के बहिष्कार की बात आती है तो ये सारे चिल्ला पड़ते हैं। उनको संविधान स्मरण हो आता है!
मुस्लिम बहुल बस्तियों के सामने या मस्जिद-मदरसे के सामने से होली खेलते हुए कोई टोली निकल जाए तो पत्थर बाजी, हिंसा, आगजनी और ना जाने क्या क्या..!!
आप होली के रंग गुलाल हिंदुओं को बेचो तो कोई बात नहीं किंतु वही रंग गलती से भी यदि आपके ऊपर, आपके घर, द्वार, मस्जिद मदरसे की दीवार को छू भी जाए तो उपद्रव हमले और मारकाट!!! आखिर क्यों? ये दोहरे मापदंड आखिर कब तक??
हिंदू समाज को भी ऐसी जिहादी मानसिकता को पहचान कर उसके पूर्ण बहिष्कार के लिए आगे बढ़ना ही होगा और साथ ही मुस्लिम नेतृत्व को भी अपने कट्टरपंथी मानसिकता पर लगाम लगानी होगी। अन्यथा, जैसे महाकुंभ में हिंदू शक्ति ने एकजुटता दिखाई और जिहादियों का पूर्ण बहिष्कार किया, शेष आयोजनों में भी हिंदू समाज ऐसा करने को मजबूर होगा, जो वास्तव में सामान्य तौर पर ना तो हिंदू का स्वभाव है और ना ही यह उनके हित में है।
शांति से रहें, विवश ना करें।
एक ओर हिंदू घरों, मंदिरों, आस्था केन्द्रों व सार्वजनिक स्थलों पर अनधिकृत कब्जे, तो वहीं महिला उत्पीड़न, लैंड जिहाद व जनसंख्या जिहाद के माध्यम से हिंदुओं को पलायन को विवश करने के षड्यंत्र…
बरेली के हिंदुओं की इस व्यथा पर @utthaannews की इस पड़ताल पर @adgzonebareilly @Uppolice @dmbareilly व @CMOfficeUP द्वारा गहन जांच व जिहादी मानसिकता के मर्दन हेतु कठोर कार्यवाही आवश्यक है।